Saturday, October 8, 2011

Waqt har waqt ek sa nahi rehta ...


जानता था, 
वक़्त हर वक़्त एक सा नहीं रहता,
कांपते थे लफ्ज़,
जब भी मैं यह बात कहता,
आज ज़हन में एक अजीब सी मुस्कुराहट,
और कही एक दबी सी उदासी भी है,
अब लगता है, 
शायद सही था मैं, 
वक़्त हर वक़्त एक सा नहीं रहता ...