Saturday, April 9, 2011

यूँ भी जी के देखा है ...

बे-बुनियादी दर्क्तो पे चढ़ के देखा है,
बिन पंखो के भी उड़ के देखा है,
बे-परवा उसूलो के घने बन्धनों में रहकर देखा है,
बिन दिए के रोशिनी होते देखा है,
बे-इन्तहा रास्तो पे चल के देखा है,
बिन कारवां के मंजिलो पे पहुचते देखा है,
बे-हिसाब पीकर भी रहकर देखा है,
बिन पिए भी बहुत कुछ कहकर देखा है,
बे-फ़िक्र मुस्किलो में किस्मत से लड़ के देखा है,
तो फिर कभी बिन जिए भी जी के देखी है ...

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