Art 2 Eye
Wednesday, September 21, 2011
Waqt ka Bandhan ...
वक़्त में बांधना चाहा था उन बातो को मैंने,
जाने कब वो उनके लिए बंधन बन गयी,
मन के तराजू में तोला था बातो के समंदर को मैंने,
जाने कब वो उस मन की गहराईयों में खो गयी ...
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